अपने पापों के लिए दुष्टात्माओं को दोष देना - ज़ैक पूनन
अपने पापों के लिए दुष्टात्माओं को दोष देना - ज़ैक पूनन
बाइबल बहुत स्पष्ट रूप से सिखाती है कि हम अपने पापों के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार हैं। लेकिन आज बाइबल के कई शिक्षक सिखाते हैं कि हमारे पाप दुष्ट आत्माओं के द्वारा ग्रसित होने के कारण होते हैं। वे अपने क्रोध, यौन वासना (अभिलाषा), कोसने, झूठ बोलने और अन्य बुरी आदतों के लिए दुष्टात्माओं को दोषी मानते हैं। लेकिन बाइबिल सिखाती है कि ये पाप तब उत्पन्न होते है जब मनुष्य अपने आप को शरीर की अभिलाषाओं के लिए सौंप देता है। दुष्टात्माएँ एक मनुष्य को बाहरी तौर पर प्रलोभित कर सकती है, ठीक वैसे ही जैसे शैतान ने यीशु को परखा। लेकिन एक दुष्टात्मा कभी भी एक मसीही के अंदर वास नहीं कर सकती है और न ही उसे पाप करने के लिए विवश कर सकती है। पाप हमेशा एक व्यक्ति के अपने चुनाव के द्वारा आता है। बाइबल स्पष्ट रूप से हमें बताती है कि हर एक मनुष्य अपने ही शरीर की अभिलाषों में फंसकर पाप में पड़ता है। (याकूब 1:14)
वास्तविकता में नया जन्म पाए हुए एक विश्वासी के अंदर दुष्टात्मा वास नहीं कर सकती है। बाइबिल कहती है, "मसीह का शैतान के साथ क्या तालमेल हो सकता है?" ( 2 कुरिन्थियों 6:15 - लिविंग बाइबिल)। पवित्र आत्मा एक व्यक्ति के अंदर तब वास करने आता है जब वह अपने पापों से मन फिराता है और यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण करता है। पवित्र आत्मा और एक दुष्टात्मा एक ही व्यक्ति के अंदर साथ-साथ वास नहीं कर सकते है। दुष्टात्माएँ एक ऐसे व्यक्ति के अंदर वास कर सकती है जिसका वास्तविकता में नया जन्म नहीं हुआ है, या ऐसे व्यक्ति के अंदर जो नया जन्म पाने का झूठा दावा करता है, या किसी ऐसे व्यक्ति के अंदर जिसका एक बार नया जन्म हुआ था लेकिन वह धीरे-धीरे पीछे हट गया और अपने उद्धार को खो बैठा। परन्तु कोई भी दुष्टात्मा एक सच्चे विश्वासी के अंदर वास नहीं कर सकती है, क्योंकि मसीह पवित्र आत्मा के द्वारा उसकी आत्मा में वास करता है।
इसलिए जब एक व्यक्ति क्रोधित होता है, तो उसे अपने क्रोध के लिए दुष्टात्मा को दोष नहीं देना चाहिए। क्रोध शरीर की एक अभिलाषा है जिसे “हमे स्वयं पूरी रीति से दूर करना है” (इफिसियों 4:31)। यह कोई ऐसी वस्तु नहीं जिसे हम दुष्टात्मा के समान बाहर निकाल सकें। यदि क्रोध एक दुष्टात्मा होता, तो जब वह दुष्टात्मा बाहर निकाला जाता, तो वह व्यक्ति फिर कभी क्रोधित नहीं होता। लेकिन वे लोग जो ऐसे झूठे “छुटकारों” से होकर गुज़रते है फिर भी क्रोधित होते है - इस बात को सिद्ध करते हुए कि उनका क्रोध एक दुष्टात्मा नहीं है! क्रोध एक ऐसी वस्तु है जिसे प्रतिदिन क्रूसित करना है, शरीर की बाकि सारी अभिलाषाओं के समान (गलातियों 5:24)। उसे बाहर नहीं निकाला जा सकता है।
उसी तरह, भय के विचार या परमेश्वर के प्रेम या अपने उद्धार के प्रति संदेह होना भी दुष्टात्मा से ग्रसित होने का परिणाम नहीं है। यह सारी चीज़े परमेश्वर के वचन के प्रति अविश्वास का परिणाम है। इन सारे संदेहो एवं भय से छुटकारा पाने का तरीका परमेश्वर के वचन के ऊपर मनन और विश्वास करना है। अविश्वास एक दुष्टात्मा नहीं जिसे बाहर निकाला जा सके।
उसी तरह, बीमारी भी आमतौर पर दुष्टात्मा से ग्रसित होने का परिणाम नहीं है। यदि बीमारी एक दुष्टात्मा होती तो चिकित्सीय उपचार कभी भी किसी व्यक्ति को जो उससे पीड़ित है राहत नहीं प्रदान कर पाता। परन्तु चिकित्सीय उपचार अनेक बिमारिओं से ग्रसित लोगों को चंगाई प्रदान करते है - इस बात को सिद्ध करते हुए कि यह दुष्टात्मा से ग्रसित होने का परिणाम नहीं है।
यीशु ने हालांकि कहा कि यदि कोई व्यक्ति दूसरों को क्षमा नहीं करता है, तो उसे दुष्टात्माओं द्वारा सताया जाएगा (मत्ती 18:34)। ऐसी प्रताड़ना के परिणाम स्वरुप बीमारियाँ या अन्य शारीरिक पीड़ाएँ उत्पन्न हो सकती है। यहाँ तक की एक व्यक्ति अपना उद्धार खो सकता है और उसके बाद दुष्टात्मा से ग्रसित हो सकता है । या नाख़ून- चबाने जैसी एक साधारण चीज़ पर विचार करें। यह दुष्टात्मा ग्रसित होने के परिणाम स्वरुप नहीं होता है, जैसे कई बाइबिल शिक्षक सिखाते है! यह केवल घबराहट का एक चिन्ह है।
कई प्रचारक नशीली दवाओं (ड्रग्स) की लत और शराब की लत को दुष्टात्मा ग्रसित होने का कारण बताते हैं। दुष्टात्माएँ लोगों को ऐसी आदतों की ओर लुभा सकती हैं। लेकिन ऐसे व्यसनी आवश्यक रूप से दुष्टात्मा ग्रसित नहीं होते हैं। कुछ व्यसन जो की नशीली दवा (ड्रग्स) या शराब से सम्बंधित है, थोड़े से दृढ़ संकल्प से दूर किये जा सकते है - इस बात को सिद्ध करते हुए कि ये भी दुष्टात्मा ग्रसित होने का परिणाम नहीं है। हालाँकि केवल दृढ़ संकल्प लेना किसी को क्रोध या यौन वासनापूर्ण सोच के ऊपर जयवंत नहीं करेगा।
बाइबिल अध्ययन करते समय निद्रा महसूस करना भी कुछ प्रचारकों द्वारा दुष्टात्मा ग्रसित होने का कारण बताया गया है। परन्तु यह दुष्टात्मा ग्रसित होने से नहीं होता है। यह केवल बाइबिल में दिलचस्पी की कमी के वजह से होता है। एक व्यक्ति के आलसीपन या ऐसी दिलचस्पी की कमी के लिए दुष्टात्माओं को दोष नहीं दिया जा सकता।
दुष्टात्माएँ बाहर से, आपकी भावनाओं और मनोभावों को प्रभावित करने की कोशिश करेंगी । परन्तु प्राथमिक तौर पर वे इस बात की खोज करतीं है, कि किस तरह से आपकी इच्छा को हासिल कर परमेश्वर को और ईश्वरीय प्रभावों को नकारें (आप से दूर करें) ।
जैसा कि धोखे का संबंध है, यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि दुष्टात्माओं को किसी व्यक्ति को धोखा देने के लिए उसके अंदर प्रवेश करने की आवश्यकता नहीं है। लोग तो अपने बाहर से ही दुष्टात्माओं द्वारा प्रेरित शिक्षाओं को सुनकर धोखा खा सकते है (2 कुरिन्थियों 11: 13-15)।
कुछ परिस्थितियों में अनेक दुष्टात्माएँ एक व्यक्ति को ग्रसित कर सकती हैं। यीशु का ऐसे ही एक व्यक्ति से सामना हुआ जिसके अंदर दुष्टात्माओं की “सेना” समायी थी (सेना = 5000) (मरकुस 5: 9-15)। यीशु ने उस पूरी सेना को एक ही शब्द कहकर बाहर निकाला। परन्तु अनेक प्रचारक आज नाटकीय बन जाते है और काल्पनिक दुष्टात्माओं को एक-एक करके अनेक घंटों के अंतराल में निकालते है। यह दर्शकों को प्रभावित करता है लेकिन उस व्यक्ति के भीतर कुछ हासिल नहीं होता जिससे “दुष्टात्माएँ निकाली जा रहीं है”। यह बस हर किसी को थका देता है! यदि एक व्यक्ति वास्तविकता में दुष्टात्मा से ग्रसित है, उसके अंदर की सारी दुष्टात्माएँ एक ही आदेश के द्वारा निकाली जा सकती है, जैसा यीशु ने किया।
एक और झूठी शिक्षा जो आज चारों ओर फैल रही, वह यह है कि हम पुरखाओं द्वारा किया गए पापों की कटनी काट सकते है। यह एक पूर्णतः झूठी शिक्षा है - और परमेश्वर ने बाइबल के एक पूरे अध्याय में इसके बारे में विस्तार से वर्णन किया है - यहेजकेल 18 अध्याय और यर्मियाह 31:29,30 में भी। उसने इस बात को स्पष्ट कर दिया कि हर व्यक्ति को अपने ही पापों का दंड मिलेगा। हम अपनी समस्याओं का कारण अपने पुरखों द्वारा किये गए पापों को नहीं ठहरा सकते। कई लोगों ने यहाँ तक सिखाया है कि हमे अपने पुरखों के पापों को अंगीकार करना है। लेकिन हम किसी और के द्वारा किये गए पापों को उसके लिए अंगीकार नहीं कर सकते है। इसलिए, किसी का ऐसा सोचना मूर्खता है, कि वह अपने पुरखों की असफलताओं के कारण दुःख उठा रहा है। हम केवल अपने ही पापों के कारण कष्ट सहते है - न की दूसरे के पापों के कारण। जो हम बोते है हम वही काटते है और वह नहीं जिसे किसी और ने बोया है।
हमें अपने शरीर और उसकी अभिलाषाओं को क्रूस पर चढ़ाना है (गलातियों 5:24)। इन्हें कभी भी बाहर नहीं निकाला जा सकता। यदि लोग दुष्टात्मा ग्रसित होने की वजह से पाप करें, तो उन पर तरस खाना चाहिए न की उन्हें घुड़कना चाहिए। तब परमेश्वर को उन्हें ऐसे पापों के लिए दण्डित नहीं करना चाहिए, क्योंकि दुष्टात्मा ग्रसित होने के लिए किसी व्यक्ति को दण्डित नहीं किया जा सकता। दुष्टात्मा को बाहर निकाला जाना चाहिए। परन्तु जो पाप करते है और उसके दोष को स्वीकार नहीं करते और मन फिराकर उन्हें नहीं त्यागते है, वे अपने पापों के लिए एक दिन परमेश्वर के द्वारा दण्डित किये जायेंगे। यही तो परमेश्वर का वचन सिखाता है - और यह इस बात को सिद्ध करता है कि पाप दुष्टात्मा से ग्रसित होने का परिणाम नहीं हैं।
बहुत से मसीही प्रसिद्ध बाइबल-शिक्षकों का बड़ा आदर करते है जो उपर्युक्त वर्णित कुछ या सारे झूठों को सिखाते है - और इसलिए वे उनसे प्रश्न करने का साहस नहीं करते हैं। ऐसे मसीही परमेश्वर के वचन को नहीं जानते हैं। स्वयं कभी दुष्टात्माओं का सामना किये बिना, ऐसे मसीही ऐसे झूठे प्रचारकों द्वारा धोखा खाते हैं।
किसी भी प्रचारक की बात सुनते समय हमें हमेशा सतर्क (चौकन्ना) रहना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हम धोखे में नहीं हैं (हमें धोखा नहीं दिया जा रहा है)। बिरिया के लोगों ने उन बातों तक को ग्रहण नहीं किया, जिन्हें प्रेरित पौलुस ने उन्हें सिखाया, जब तक कि उन्होंने स्वयं जाकर उन शिक्षाओं को परमेश्वर के वचन से नहीं जाँचा (प्रेरित 17:10)। उनके इसी आचरण के वजह से, उन्हें कोई पत्री लिखकर, उनके सिद्धांतों को सुधारने की आवश्यकता नहीं पड़ी। क्योंकि वे कभी भी झूठी शिक्षाओं में नहीं भटके। उनकी आदत थी, हर किसी के प्रचार को परमेश्वर के वचन से परखने की। इन दिनों में, यह हम सब के लिए एक अच्छा उदहारण है अनुसरण करने का।
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